Biography of Mahatma Gandhi । महात्मा गाँधी का जीवनी
Biography of Mahatma Gandhi
जन्म 2 अक्टूबर 1969 पोरबंदर ( गुजरात )
मृत्यू 30 जनवरी 1948 बिरला हाउस ( नईं दिल्ली ) नाथूराम गोडसे के द्वारा
पिता करमचंद गाँधी (कबा गाँधी) ( पोरबंदर रियासत के प्रधानमंत्री )
माता पुतलीबाई
शिक्षा आल्फ्रेड हाई स्कूल ( राजकोट )
यूनिवर्सिटी कॉलेज ( लन्दन )
पेशा बैरिस्टर ( जो lawer जो उच्च न्यायालय में बहस कर सकता है )
शादी 1883 ( कस्तूरबा गाँधी )
बच्चे 4 ( हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास )
धर्म हिन्दू
जाती गुजराती वैश्य
राजनैतिक पार्टी भारतीय रास्ट्रीय कांग्रेस
अंतिम वाक्य हे राम !
महात्मा गाँधी का संक्षिप्त जीवन परिचय
Biography of Mahatma Gandhi
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले में हुआ था। इनके पिता जी का नाम करमचंद गाँधी था । इनकी माता जी का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी को हम बापू के नाम से भी जानते हैं । गांधी जी को बापू करने वाला प्रथम व्यक्ति उनके साबरमती आश्रम के शिष्य थे ( गुजराती भाषा में बापू का अर्थ पिता होता है ) Biography of Mahatma Gandhi
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी है सुभाष चंद्र बोस ने सबसे पहले गांधी जी को राष्ट्रपिता कहा था । 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि गांधीजी अहिंसा के पुजारी थे 1883 ( कहीं-कहीं 1882 ) में गांधीजी की शादी साढ़े 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा बाई मकनजी से कर दिया गया। उस समय कस्तूरबाई 14 वर्ष की थी। Biography of Mahatma Gandhi
लोग इन्हें प्यार से बापू ( गुजराती में बा का मतलब मां होता है ) बुलाते थे। गांधीजी एक साधारण छात्र थे लेकिन गांधी जी का परिवार उन्हें बैरिस्टर ( lawer जो उच्च न्यायालय में बहस कर सकता है ) बनाना चाहते थे । इसलिए 19 साल की उम्र में 1888 को गांधीजी बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए वहां जाने के बाद गांधी जी ने अंग्रेजी रीति-रिवाजों को काफी नजदीक से देखे और समझे और कुछ हद तक उसका अनुभव भी किये लेकिन चुकि वह जैन धर्म से थे । Biography of Mahatma Gandhi
https://en.wikipedia.org/wiki/Mahatma_Gandhi
और साथ ही साथ अपनी माता जी ( पुतलीबाई ) को मास मछली नही खाने का वचन देने के कारण मांस मदिरा को अपना नहीं पाए । गांधी जी ने शाकाहारी भोजन को अपनाया साथ ही साथ शाकाहारी समाज की सदस्यता और कार्यकारी समिति के लिए इन्हें चुना गया । गांधी जी जब अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी कर मुंबई आए और वहां वकालत करने लगे लेकिन वह कुछ खास सफल नहीं हो पाए। बाद में गाँधी जी ने एक हाईस्कूल में शिक्षक के लिए आवेदन दिया था। Biography of Mahatma Gandhi
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लेकिन उसे स्वीकार नही किया गया तो वह राजकोट में जरुरतमन्द लोगों के लिए अर्जिय लिखने लगे । उस समय गाँधी जी एक किशोर थे जिनके मन में भी कुछ सपने थे वो भी कुछ करना चाहते थे कुछ बनना चाहते थे तो अब गाँधी जी इस तरह के जिवन से परेशान हो गए थे और वह इससे निकलना चहते थे। Biography of Mahatma Gandhi
महात्मा गाँधी का दक्षिण अफ्रीका की यात्रा ( 1893 – 1914 )
Biography of Mahatma Gandhi
Biography of Mahatma Gandhi
फिर दादा अब्दुल्ला नामक एक व्यापारी ने गाँधी जी को 1 साल के लिए दक्षिण अफ्रीका में वकालत करने का प्रस्ताव दिए और 1893 में गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका चले गए । उस समय दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव बहुत ज्यादा होता था और इसका शिकार महात्मा गांधी भी हुए ।
गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में बहुत कठिनाइयों का को झेलना पड़ा जैसे प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बाद भी तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करना, अफ्रीका के बहुत सारे होटलों में उन्हें रुकने की अनुमति नहीं मिलना, अदालत में जज का उन्हें पगड़ी उतारने का आदेश देना जो कि गांधी जी ने नहीं माना इत्यादि इन सारी घटनाओं का गांधीजी के जीवन पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा। और गाँधी जी वहा भी अहिंसा के साथ आंदोलन करने लगे । Biography of Mahatma Gandhi
दक्षिण अफ्रीका में भारत के लोगों के ऊपर अन्याय को देखकर गांधीजी यह सोचने को मजबूर हो गए कि अंग्रेज भारत में उनके देशवासियों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे होंगे । गांधीजी कुल 21 साल दक्षिण अफ्रीका में रहे । 1893 में जब वह दक्षिण अफ्रीका गए थे तब एक आम इंसान एक साधारण वकील थे लेकिन 1915 में जब वह भारत आए तो एक उम्मीद थी जो भारत को आजादी दिला सकते थे। क्योंकि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में ही सत्याग्रह आंदोलन 1906 चलाकर वहां के अधिकारियों को झुकने पर विवश कर दिया दिए थे।
महात्मा गाँधी का भारत में आजादी के लिए संघर्ष
9 जनवरी 1915 को गांधी जी हमेशा के लिए भारत वापस आ गए थे उनके आने से भारत के लोगों को आजादी की एक नई उम्मीद दिखी क्योंकि लोग गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका में किए गए काम को जानते थे और उससे प्रभावित भी हुए थे।
भारत आने के बाद गांधी जी सबसे पहले यहां की स्थिति को जानने के लिए पूरे भारत की यात्रा पर निकल गए । वह जनता के साथ जनता के बीच में रहकर उनकी समस्याओं को सुनते, समझते और उसका निराकरण या निवारण करते थे। जिसके कारण धीरे-धीरे वह आम जनता के बीच काफी लोकप्रिय होते चले गए । 1915 में गांधी जी ने अहमदाबाद ( गुजरात ) में अपना आश्रम “साबरमती आश्रम” स्थापित किए । भारत में गांधी जी का पहला महत्वपूर्ण आंदोलन बिहार के चंपारण में शुरू हुआ था इस क्षेत्र में उस समय नील की खेती के कारण किसानों का शोषण हो रहा था ।
क्योकि जिस भी खेत में नील लगाया था वह जमी २ से ३ सालो के लिए बंजर हो जाता था जिस करण वहा के किसानो को काफी समस्याओंका सामना करना परता था और उनका समस्या सुनने वाला कोई नही था।
उनमें से एक स्थानीय नेता राज कुमार शुक्ला गांधी जी से मिले और उन्हें पूरी समस्या के बारे में बताएं और निवेदन किए कि उन किसानों को इस व्यवस्था से छुटकारा दिलाया जाए। गांधी जी जब चंपारण आए तो अंग्रेज अधिकारी ने उन्हें वापस भेजने का हर संभव प्रयास किया लेकिन गांधीजी वहां डटे रहे और आखिरकार अंग्रेजों और जमींदारों को उनके आगे झुकना पड़ा और नील की खेती बंद करनी पड़ी। यह गांधी जी और उनके विचारों का भारत में पहला जी था ।
फिर उसके बाद एक के बाद एक आंदोलन होते गए और गांधीजी के एक आवाहन पर पूरा भारत उनके पीछे चलने लगता था। गांधी जी के प्रमुख आंदोलन थे चंपारण सत्याग्रह 1917
- खेड़ा और अहमदाबाद आंदोलन 1918
- खिलाफत आंदोलन 1919
- असहयोग आंदोलन 1920
- नमक आंदोलन 1930
- भारत छोड़ो आंदोलन 1942
महात्मा गाँधी का प्रमुख किताबे
महात्मा गांधी ने कुछ पुस्तकें भी लिखी हैं जिन्हें पढ़कर आप अपने जीवन के लक्ष्य को पा सकते हैं उनमें से कुछ मुख्य पुस्तकों के नाम हैं
- हिंद स्वराज 1909
- दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह 1924 ( इसका इंग्लिश में ट्रांसलेशन 1928 में किया गया था )
- मेरे सपनों का भारत
- ग्राम स्वराज
- एक आत्मकथा या सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानी ( यह गांधीजी की आत्मकथा है )
- स्वास्थ्य की कुंजी
- रामानामा
- हिंदू धर्म का सार
- गीता का संदेश
- सत्य भगवान है इत्यादी
गांधी जी के द्वारा कुछ प्रमुख नारे भी दिए गए थे
- करो या मरो
- भारत छोड़ो
- भगवान का कोई धर्म नहीं
- किसी की मेहरबानी मांगना अपनी आजादी बेचना
- जहां प्रेम है वहां जीवन है इत्यादी
गांघी जी की मृत्यु ( हत्या )
दिनों गांधीजी बिरला भवन ( जोकि बिरला परिवार का घर था ) वहां कुछ महीनो से ( लगभग 144 दिनों से ) रहते आ रहे थे और रोज शाम को वहां प्रार्थना होती थ ।
जिसमें गांधीजी आवश्यक रूप से भाग लेते थेलेकिन 30 जनवरी 1948 को गांधी जी को प्रार्थना में जाने में देर हो गई थी क्योंकि उस दिन गांधी जी सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ मीटिंग कर रहे थे।
कि अचानक उन्हें प्रार्थना याद आया (काश नहीं आया होता तो बाबू कुछ दिन और जीवित रहते) और वह प्रार्थना स्थल की ओर निकल पड़े कि अचानक रास्ते में नाथूराम गोडसे ने उन पर 3 गोलियां चलाई गोली इतनी नजदीक से मारा गया था कि बापू के शरीर से होते हुए बाहर निकल गई लेकिन एक गोली शरीर में ही रह गई और गांधी जी अब दुनिया को छोड़ कर जा चुके थे ।
दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाने और सिखाने वाले गांधीजी हिंसा के कारण अब इस दुनिया में नहीं रहे थे ।
गांधी जी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत का अनुसरण अपने देश के लोग के अलावा बाहर के लोग भी करते थे और उनसे मिलने की इच्छा रखते थे।
इनमें से एक थे अलबर्ट आइन्सटीन उन्होंने 1931 में गांधी जी को एक पत्र लिखा और कहा “आपने अपने काम से यह साबित कर दिया कि ऐसे लोगों के साथ भी अहिंसा के जरिए जीत हासिल की जा सकती है जो हिंसा के मार्ग को खारिज नहीं करते और अंत में उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि एक दिन मैं आपसे मुलाकात कर पाऊंगा” ।
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Frequently Ask Questions
Ans. गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे।